कोरोना से बचाव के तमाम तरीके व्यक्तिगत स्तर पर भी और सार्वजनिक स्तर पर भी अपनाए जा रहे हैं लेकिन उत्तर प्रदेश के बरेली ज़िले में प्रशासन ने जो तरीका अपनाया है उसे देखकर कोई भी हैरान हो सकता है. यहां जिस तरीके से और जिन केमिकल्स से बसों और अन्य वाहनों को सैनिटाइज़ किया जा रहा है, बाहर से आए लोगों को सैनिटाइज़ करने के लिए भी उन्हीं केमिकल्स के साथ वही तरीका अपनाया गया.
आँखों और त्वचा के लिए ख़तरनाक इसका वीडियो सामने आने के बाद इस बारे में लोगों को जानकारी हुई. वीडियो में कुछ कर्मचारी इन लोगों से बैठ जाने और मुंह आगे कर लेने की अपील कर रहे हैं ताकि केमिकल मुंह और आंख में न पड़ने पाए. हालांकि इसके बावजूद कई लोगों पर उनके ठीक सामने से ही पानी की बौछार डाली जा रही है.
जिलाधिकारी का बयान हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली जैसी कई जगहों से आए लोग भी वहां पर थे. सीएफओ के मुताबिक, कुछ कर्मचारियों ने उन्हें भी उसी से नहला दिया जो ठीक नहीं था. स्थानीय पत्रकार मनवीर के मुताबिक, "बड़ी संख्या में लोग उन्हें नहलाने पर आपत्ति जता रहे थे लेकिन कर्मचारियों ने नियमों का हवाला देते हुए उन्हें जबरन सड़क पर बैठा दिया और पाइप से पानी और केमिकल की बौछार करने लगे. लोग न सिर्फ़ भींग गए बल्कि उनके सारे सामान भी ख़राब हो गए. इन लोगों ने किसी की एक न सुनी. ये सारे लोग खुद पूरी तरह से सुरक्षित कपड़ों में थे." वीडियो सामने आने के बाद बरेली के जिलाधिकारी ने नीतीश कुमार ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. जिलाधिकारी से इस बारे में बात करने की कई बार कोशिश की गई लेकिन बातचीत संभव नहीं हो पाई. जिलाधिकारी ने ट्वीट करके जांच और कार्रवाई की बात कही है.
अस्पताल ले जाने की जहमत जिलाधिकारी ने ट्वीट करके ये भी कहा है कि जिन लोगों को इस तरीके से सैनिटाइज़ किया गया है, उनका समुचित इलाज़ कराया जाएगा. लेकिन ये लोग अपने घरों को चले गए हैं और अब प्रशासन के लोग उन्हें ढूंढकर उनका इलाज़ कराएंगे, इसकी उम्मीद शायद ही की जा सकती है. जिन लोगों पर दवा का छिड़काव किया गया उनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे. घटना के चश्मदीद कुछ स्थानीय लोगों के सताबिका वि घटना के चश्मदीद कुछ स्थानीय लोगों के मुताबिक, छिड़काव के बाद कई बच्चों ने अपनी आंखों में जलन की शिकायत की लेकिन उन्हें चुपचाप उनके घर भेज दिया गया. उस वक़्त किसी ने भी उन्हें अस्पताल ले जाने की जहमत नहीं उठाई. जानकारों का कहना है कि सोडियम हाइपोक्लोराइड का इस्तेमाल दीवारों, फर्शों, टॉयलेट इत्यादि की सफ़ाई में इस्तेमाल किया जाता है और शरीर के किसी भी हिस्से के संपर्क में आने पर उसे गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है.