*शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश में जानलेवा कोरोना महामारी की तेजी से बढ़ती जा रही है संक्रमितों की संख्या रोकने में हो रहे है नाकाम*
*सरकार के गलत प्रबंधन और संसाधनों की कमी से स्थिति अब और भयावह : जीतू पटवारी*
प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि मध्यप्रदेश में जानलेवा कोरोना महामारी के संक्रमितों की संख्या लगातार तेजी से बढ़ती जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 15 दिनों के लॉकडाउन करने के बावजूद अभी तक कोरोना वायरस के संक्रमण को कंट्रोल नहीं कर पा रहें। मौत और संक्रमितों का आंकड़ा दिनों -दिन तेज गति से बढ़ता जा रहा है। मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमित और मृत्यु का अगर हम प्रतिशत निकाले तो वह देश में होने वाली औसत मौतों से दोगुना है, वहीं स्वस्थ होने का रेट देश के औसत से भी आधा है।
श्री पटवारी ने कहा कि इंदौर में प्रतिदिन एक कोरोना मरीज संसाधन की कमी के चलते दम तोड़ रहा है। सरकार के गलत प्रबंधन और संसाधनों की कमी से स्थिति अब और भयावह होती जा रही। समय रहते 5 दिनों में इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, खरगोन, जबलपुर, शिवपुरी और उज्जैन में ध्यान नहीं दिया गया, तो मौत और कोरोना पॉजिटिव का आंकड़ा तेजी से बढ़ेगा। क्योंकि इंदौर में क्वॉरेंटाइन किये इलाकों के बाहर भी महामारी फैल रही है। जो की थर्ड स्टेज में जाने का संकेत है।
1. *कोरोना वायरस को लेकर सरकार की कोई तैयारी नहीं*
कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ने के लिए सरकार के पास 15 दिन काफी समय था, लेकिन शिवराज सिंह चौहान सरकार बनाने और अपने पसन्दीदा अधिकारियों को इधर से उधर करने में लगे रहे। कोरोना से लड़ने के लिए कोई ठोस तैयारी नहीं की। शिवराज सिंह को और अधिक काम करने की जरूरत है। कोरोना वायरस जैसी महामारी के खिलाफ डॉक्टर्स जंग लड़ रहे हैं। वह दिन-रात मरीजों का इलाज कर रहे हैं। लेकिन शिवराज सिंह चौहान अभी मंत्रीमंडल की तैयारी कर रहे। डॉक्टर्स, पुलिस अधिकारियों का तबादला किया जा रहा। ताकि समय आने पर मनमानी की जा सके।
2. *भ्रष्टाचार रोकने में सरकार विफल*
प्रदेश में कोरोना से अब तक हुई 20 से अधिक मौत की घटना दुखद है। प्रदेश के इंदौर और भोपाल जैसे बड़े और सुविधासंपन्न शहरों में कोरोना से लोग मर रहें, यह चिंताजनक है। राज्य के अस्पतालों को बड़े पैमाने पर चिकित्सकीय उपकरणों की जरूरत है। पर्याप्त मात्रा में सैनिटाइजर और टेस्टिंग किट, वेंटिलेटर, मास्क, सुरक्षा संसाधन उपलब्ध कराने में सरकार विफल है। त्रासदी के दौर में भी सरकार भ्रष्टाचारियों पर लगाम नहीं लगा पा रही है। दूने- चौगुने दामों पर लोग जरूरी सामान खरीद रहे हैं। ऐसे में सरकार का प्रबंधन पूरी तरह से लाचार दिखाई पड़ रहा है।
3. *सरकारी व्यवस्था बेहाल, पुलिसकर्मी, निगमकर्मी और स्वास्थ्यकर्मी कर रहे 12 घंटे से अधिक ड्यूटी*
कोरोना के कहर में थानों में ड्यूटी के दौरान एक बाइक पर दो लोग ड्यूटी कर रहें हैं। कार में भी दो से ज्यादा लोग घूम रहें। पुलिसकर्मी 12 घंटे की ड्यूटी कर रहें। लेकिन उनके रुकने, खाने और वर्दी धुलने की कोई मुफीद व्यवस्था नहीं है। यहां तक निगमकर्मी जो शहर की सफाई करने में 24 घंटे जुटे हैं वे दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। उन्हे भी कोई स्वास्थगत सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है।
4. *एक दिन में ही 18 जनाजे, क्या मौत का आंकड़ा छुपा रही सरकार ?*
कोरोना संक्रमण से मुस्लिम समाज में बढ़े अचानक से मौत के आंकड़े चिंताजनक है। एक रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल के छह दिन में शहर के मात्र 4 कब्रिस्तान में मृत्यु का जो आंकड़ा 127 था वह सातवें दिन 145 पर पहुंच गया। मतलब एक दिन में ही 18 जनाजे सिर्फ उन्हीं चार कब्रिस्तान में पहुंचे जो क्वारेंटाइन एरिया के लिए ही हैं।
5. *गरीब लोगों तक नहीं पहुंच रहा राशन, बड़ी शर्म की बात, जब गरीब किसान अन्नदाता खाने को तरसे*
संकट की घड़ी में भी सरकार भी गरीब और जरूरतमंदों का हक मार रही हैं। गरीबों के पास न तो मोबाइल है, न वे इतने पढ़े-लिखे हैं कि कॉल सेंटर को कॉल कर सके। गरीब बस्तियों की हकीकत सरकार नहीं देख रही। 40 फीसदी गरीब बस्तियों की गरीब जनता दो टाइम के खाने के लिए तरस रही है। वहां तक राशन नहीं पहुंच रहा। गरीब को कच्चा राशन भी सरकार नहीं पहुंचा पा रही। गरीब और जरूरतमंद न सिर्फ कोरोना वायरस से लड़ रहे, बल्कि वे भूख से भी लड़ रहै हैं।
6. *लॉकडाउन से बढ़ी महंगाई, रोटी को तरस रहे मजदूर*
लॉकडाउन से महंगाई बढ़ गई है। आटा पहले 25 रुपए किलो मिलता था और आज की स्थिति में 40 रुपए किलो, दाल पहले 90 रुपए किलो मिलता था और आज की स्थिति में 150 रुपए किलो, चीनी पहले 37 रुपए किलो आज 45 रुपए किलो, चावल पहले 30 रुपए किलो आज 50 रुपए किलो...
7. *बर्बादी की अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की ताजा रिपोर्ट*
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की ताजा रिपोर्ट के अनुसार कोरोना का सामाजिक-आर्थिक जीवन मे भयावह असर पड़ने वाला है। यह संकट देश के 40 करोड़ मजदूरों को गरीबी में धकेल देगा। हमारे यहां 90 फीसदी लोग असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं। लॉकडाउन से इनकी रोजी-रोटी बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। ये लोग बुरे दिनों के डर से अपने गांव जाने पर विवश हुए हैं। आर्थिक प्रबन्धन मजबूत करने के बजाय हमसे इस संकट के दौर में ताली थाली पिटवाई व दीये जलवाए जा रहे है।
8. *आम और खास में फर्क कर रही सरकार..*
मध्यप्रदेश में एक पत्रकार ने अपनी बेटी की हिस्ट्री को छुपाया और कोरोना पॉजिटिव होने के बाद उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई। जबकि सरकार के स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव ने अपने बेटे की हिस्ट्री छुपाई तो कार्रवाई नहीं हुई। स्वास्थ्य संचालक जे विजयकुमार भी विदेश यात्रा के बाद कोरोना पीड़ित हैं।
अतिरिक्त मुख्य सचिव सुलेमान को स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा दिया गया है, यह भी चीन की यात्रा हाल में ही करके वापस आए हैं। लेकिन कुछ लोगों की लापरवाही पूरे मध्यप्रदेश की अफसरशाही भुगत रही है। ज्यादातर अफसर सेल्फ कोरोन्टाइन में हैं। इसका खामियाजा मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं भुगत रही हैं।
9. *कर्मचारियों को नहीं मिला वेतन*
बड़े ही दुर्भाग्यपूर्ण की बात है कि जीवन रक्षक काम में जुटे लोगों का वेतन नहीं मिल पा रहा। ऐसे अवसर पर मानवीय संवेदना का परिचय देना चाहिए, जिससे इस बीमारी से लड़ने में कोई कोताही न हो। कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों की तादाद तेजी से बढ़ रही है। सरकार इस पर सिर्फ दिखावा कर रही है, दावे खोखले साबित हो रही।
कारोना वायरस संक्रमण के कारण कामकाज ठप होने से कच्चे माल की आपूर्ति प्रभावित हुई है, इससे औषधि के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग पर असर पड़ा है। इससे कुछ क्षेत्रों में अस्थायी छंटनी हो रही है। कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को हटा रही हैं। ऐसे में सरकार उन कर्मचारियों के लिए क्या कर रही है।
10. *देश में दूसरे नंबर पर मध्यप्रदेश- 21 मौत, 23 गंभीर*
कोरोना से हर दिन बढ़ते संक्रमणों की संख्या से अब मध्यप्रदेश देश के दूसरे नंबर पर आ गया है। इसकी वजह शासन की ओर से शुरुआत में बरती गई लापरवाही है। भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, शिवपुरी, जबलपुर, खरगोन, छिंदवाडा में हर दिन नए पॉजिटिव सामने आने के बाद संक्रमितों की संख्या 256 से अधिक पहुंच गई। कोरोना से बचाने में जुटा स्वास्थ्य विभाग ही संक्रमण का शिकार हो गया है। स्थिति यह है कि यहां प्रमुख सचिव से लेकर बाबू तक संक्रमित हो चुके हैं।
11. *तेजी से बढ़ रहे कोरोना पॉजिटिव*
करीब दर्जनभर राज्यों के 20 से अधिक शहरों में पॉजीटिव केस अधिक सामने आ रहे हैं। जिसमें इंदौर के बाद भोपाल भी शामिल है। पिछले 4 दिनों में यह आंकड़े लगातार बढ़े हैं। महाराष्ट्र के मुंबई एवं पूणे के पिछले 2 दिन में काफी मरीज बढ़े हैं। मुंबई से सटे हुए महानगर पालिका नवी मुंबई भयंदर तथा वसई विरार ठाणे के कई मरीजों की मौत भी हुई है। यहां मौत का आंकड़ा भी तुलनात्मक अधिक है। दिल्ली में तबलीग जमात के लोगों के मामले सामने आने के बाद आंकड़ा 200 से 500 पार हो गया। केरल के केसरगौड जिले में पिछले 2 दिन में केस बढ़े हैं। गुजरात के अहमदाबाद सूरत में ज्यादा मामले सामने आए हैं। तमिलनाडु में 2 दिन में 400 से पौने 600 मामले हो गए यहां चेन्नई में सबसे अधिक केस हैं।
12. *संसाधन की कमी*- टेस्ट मात्र पांच गुना लेकिन मरीजों की संख्या 9 गुना बढ़ी
25 मार्च को लॉकडाउन लागू हुआ, कई शहरों में टोटल लॉकडाउन यानि फल, सब्जी, राशन की दुकानें भी पूरी तरह बंद कर दी गईं। लेकिन सरकार ने कोई तैयारी कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए मजबूती से नही किया। मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमित और मृत्यु का अगर हम प्रतिशत निकाले तो वह देश में होने वाली औसत मौतों से भी दुगनी आ रही है, *स्मरण रहे इंदौर में प्रतिदिन एक कोरोना मरीज संसाधन की कमी के चलते दम तोड़ रहा है* स्वास्थ्य संबंधी जरूरी किट और मास्क की अनउपलब्धता बढ़ती जा रही। आंकड़ों पर देखें तो भारत में 25 मार्च तक प्रति 10 लाख में 22 लोगों की जांच हुई थी, अब यह औसतन 95 है जो कि बेहद कम है। समय रहते सरकार ने कोरोना को नहीं रोका तो कुछ दिनों में मरने वालों का आंकड़ा सैकड़ों में हो जाएगा।
13. *मेडिकल कॉलेज के पास नहीं है और स्टॉक*
कोरोना वायरस का खतरा अब तेजी से फैलने लगा है। स्थिति यह है कि कोरोना संक्रमण पर जल्द कंट्रोल नहीं हुआ तो तीसरे स्टेज में कोरोना महामारी का खतरा और भयावह हो जाएगा। चिंता कि बात ये है कि सरकार के पास कोरोना से लड़ने के लिए अभी तक पर्याप्त प्रोटेक्शन किट और मास्क नहीं है। यहां तक अस्पतालों में डॉक्टर और नर्सों की भी कमी है। एमजीएम मेडिकल कॉलेज कीट तक नहीं है। डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टॉफ, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, आशा कार्यकर्ताओं और वार्डबाय को कोरोना संक्रमण प्रभावित क्षेत्रों में बिना किसी सुरक्षा के जाना पड़ रहा। सरकार इन्ही लोगों से दोहरा व्यवहार कर रही है।
14. *रीवा, पन्ना, सतना, सिंगरौली में मजदूर, गरीब की स्थिती खराब*
कोरोना वायरस की वजह से और सरकार के कमजोर प्रबंधन से कामकाज ठप है। पन्ना-सतना से लेकर सिंगरौली तक बाजार बंद है। गरीब, मजदूर के जिंदगी की रफ्तार थम गई है। यहां सबसे अधिक मुश्किल में वह तबका है जो रोज की कमाई के भरोसे जिंदगी चला रहा था। सरकार मदद देने की बात कह रही है, लेकिन यहां 15 दिनों से अब तक कोई मदद नहीं पहुंची। सतना में स्थिति यह हो गई है कि करीब 150 से अधिक गरीब परिवार भूख, प्यास से परेशान हैं। इंदौर शहर में पढ़ने आए छात्रावास में समय पर और पर्याप्त भोजन नहीं मिल पा रहा। वहीं मुरैना के सैकड़ों घरों में अभी तक राशन की सामग्री नहीं पहुंची।
15. *छिंदवाड़ा और दमोह में लॉकडाउन नहीं करा पा रही प्रशासन*
कोरोना ना फैले इसके लिए सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी है। लेकिन छिंदवाड़ा और दमोह में प्रशासन लोगों को नियंत्रित नहीं कर पा रही है। ऐसे में कोरोना का संक्रमण अन्य शहरों में फैलेगा तब स्थिति को कंट्रोल करना कठिन हो जाएगा।
16. हेल्थ डिपार्टमेंट नहीं सुरक्षित... देश में 50 से ज्यादा डॉक्टर-स्टाफ कोरोना पॉजिटिव
*आवाज को दबाने के लिए लगा दिया एस्मा*
संक्रमण के उच्च जोखिम वाले स्थानों के रूप में अस्पतालों के उभरने की आशंका बढ़ रही है। सुरक्षा उपकरण न होने से हो रहा है। भोपाल के कुल 84 मरीजों में से 43 हेल्थ डिपार्टमेंट के हैं। पॉजिटिव मिलने पर भी कोई प्रोटोकॉल पालन नहीं। अब एस्मा की सजा दूसरों को देने की सरकर तैयारी कर ली है। सरकार बस ये कहती रहती है कि देश नहीं बिकने दूंगा और यह कह-कह कर एक दिन सब कुछ बिकवाने पर लगी है।
बेबल, लाचार, भूखे को राशन न देकर उनकी आवाज को दबाने के लिए सरकार अब सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) लगा चुकी है। ताकि कोई हड़ताल या हंगामा ना कर सकें। सरकार को आम गरीब नागरिकों को उनके मूलभूत सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए समस्याओं को कम करने चाहिए न की एस्मा कानून का सहारा लेना चाइए ऐसा करके वो कर्मठ कर्मचारियों को हतोत्साहित करेगी।