भारत के कुछ छात्र नेताओं और दक्षिणपंथ विरोधी नेताओं ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाया है 'कोरोना आपदा को बदला लेने का अवसर मान रही मोदी सरकार'



 


भारत के कुछ छात्र नेताओं और दक्षिणपंथ विरोधी नेताओं ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार देश के विश्वविद्यालयों और विद्यार्थियों पर लगातार हमले कर रही है और उन्हें फंसाने के लिए राजनीति से प्रेरित फ़र्जी मुक़दमें बनाये जा रहे हैं. प्रेस वार्ता में इन लोगों ने खुलकर बात की और कहा कि जब दुनिया कोरोना वायरस महामारी से लड़ रही है, तब भी मोदी सरकार अपनी ही यूनिवर्सिटियों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों पर हमले कर रही है.' 


'भीमा कोरेगाँव मॉडल अपनाया जा रहा' आइसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एन साई बालाजी ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि कैसे संविधान की प्रस्तावना पढ़ना इस देश में यूएपीए क़ानून प्रयोग करने लायक जुर्म हो गया?' उन्होंने कहा, "हमें इसकी दो वजहें समझ आती हैं. एक तो ये कि सरकार इनसे बदला लेना चाहती है, इसलिए गिरफ्तार कर लो, महामारी के दौर में छात्र इनके समर्थन में सड़कों पर नहीं आ सकेंगे और ना ही कोई कानूनी मदद मिलेगी." "दूसरी वजह ये है कि सरकार महामारी की रोकथाम में फेल रही है, रेल सही पटरियों पर नहीं ले जा पा रहे, जिन डॉक्टरों के लिए थालियाँ बजवाई, उन्हें पीपीई किट नहीं दे पा रहे, तो इसे छिपाने के लिए छात्रों और कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है." मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दोनों को दिल्ली पुलिस द्वारा बनाये गए मामले में रविवार को जमानत मिल गई थी, लेकिन क्राइम ब्राँच ने दोनों को दंगों से जुड़े एक अन्य केस में फिर गिरफ़्तार कर लिया और अदालत से उनकी रिमांड भी हासिल कर ली. अब दोनों पर गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) लगने की आशंका है.


'पीएम मोदी ने कहा - आपदा को अवसर मानो' संयुक्त प्रेस वार्ता में दिल्ली पुलिस की भूमिका और विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े किये गए. कई वक्ताओं ने सवाल किया कि नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में भड़काऊ बयानबाज़ी करने वाले कपिल मिश्रा, दिल्ली चुनाव के समय भड़काऊ बयान देने वाले बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर, जेएनयू में हमला करने वाली कोमल शर्मा, जामिया यूनिवर्सिटी कैंपस के पास फ़ायरिंग करने वाले गोपाल शर्मा (रामभक्त गोपाल) का आख़िर क्या हुआ? क्या उनके खिलाफ़ भी कार्यवाही कहीं पहुंच पाई है?" प्रेस वार्ता में सीपीआई नेता और जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने कहा, "लॉकडाउन के दौरान गिरफ्तारियाँ क्यों? क्या इनकी टाइमिंग पर सवाल नहीं उठना चाहिए. राज्य सरकारें जघन्य अपराध करने वालों को तो छोड़ रही हैं, उन्हें घर भेजा जा रहा है, दूसरी ओर सरकार से सवाल करने वाले विद्यार्थियों और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया जा रहा है, उन्हें जेल में डाला जा रहा है."


'छात्रों ने आंदोलन खड़े किये, इसलिए उनसे परेशानी' कन्हैया की बात को आगे बढ़ाते हुए सामाजिक कार्यकर्ता और जेएनयू में कन्हैया कुमार के सहयोगी रहे उमर खालिद ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए लॉकडाउन किया गया था, लेकिन इसका इस्तेमाल सरकार कुछ और मंशाओं को पूरा करने के लिए कर रही है.' प्रेस वार्ता में बतौर गेस्ट जुड़े उमर खालिद ने कहा, "महामारी के लिए दौर में हो रहीं कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारियाँ बताती हैं कि सरकार की प्रायोरिटी क्या है और सरकार कैसे इस लॉकडाउन को अवसर मान रही है, उन चीज़ों को पूरा करने का जो वो सामान्य दिनों में आसानी से नहीं कर पा रही थी." 'भारत सरकार का षडयंत्र' अंत में गुजरात के विधायक और मोदी-शाह की तीखी आलोचना करने वाले जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि "मोदी सरकार जो कर रही है, उसे वो बहुत गंदी और शर्मनाक राजनीति कहते हैं." मेवाणी ने कहा, "लोग सड़क पर नहीं उतर पायेंगे, सरकार इसका फायदा उठाने की कोशिश कर रही है और चुन-चुन कर लोगों को निशाना बनाया जा रहा है. ये वंचितों की बात करने वाले लोग हैं, निश्चित रूप से ये लोग दक्षिणपंथी सोच के विरोधी हैं और लोगों से जुड़े मुद्दों पर बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे हैं जिससे सरकार को परेशानी है." उन्होंने कहा, "दिल्ली के दंगों को छात्रों का षडयंत्र कहना, अपने आप में 'भारत सरकार का षडयंत्र है. यही गुजरात मॉडल है."


मेवाणी ने कहा, "सब जानते हैं कि अदालत में इन सामाजिक कार्यकर्ताओं और छात्रों के खिलाफ़ ये फ़र्जी मुक़दमें टिक नहीं पायेंगे. पर फ़िलहाल उन्हें बेल नहीं मिलेगी, उन्हें तंग किया जाएगा, ये वक़्त जो वो जेल में गुज़ारेंगे. यही उनकी सज़ा होगी और सरकार यही संदेश देना चाहती है ताकि लोग सरकार के सामने खड़े होने से डरें." नामी सामाजिक कार्यकर्ता एनी राजा, मेधा पाटकर, फ़राह नक़वी, अरुणा रॉय और शबनम हाशमी समेत अन्य महिलाओं ने सरकार से माँग की थी कि 'शांति-पूर्ण ढंग से सीएए-एनआरसी का विरोध करने वाले लोगों पर से केस हटाये जाएं.'


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