ग्वालियर-चम्बल संभाग में उपचुनाव के पहले ही प्रशासनिक आतंक चरम पर* -के के मिश्रा

*ग्वालियर-चम्बल संभाग में उपचुनाव के पहले ही प्रशासनिक आतंक चरम पर* *सबसे पहले मैं यहां स्पष्ट कर दूं कि मैं राजनैतिक शुचिता,अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं भाषाई मर्यादा का घोर पक्षधर हूँ, किन्तु उपचुनाव की आहट के पूर्व ही 24 में से सर्वाधिक 16 उपचुनाव निर्वाचन होने वाले ग्वालियर-चम्बल संभाग में जिला/पुलिस प्रशासनिक का आतंक कुछ ज्यादा ही चरम पर है! जिस तरह श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की गुमशुदगी के एक मात्र पोस्टर लग जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता श्री सिद्धार्थ राजावत व उनके सहयोगियों के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज कर ताबड़तोड़ कार्यवाही की गई !! ग्वालियर के ही एक वरिष्ठ पत्रकार (67) श्री तानसेन तिवारी के विरुद्ध भी प्रकरण दर्ज हुआ,वह प्रशासनिक अराजकता का चरमोत्कर्ष है!!* *उन्होंने जो लिखा, उसकी भाषा क्या थी? उस पर सहमति,असहमति हो सकती है,उसके लिए सरकार के समक्ष प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया व उनकी अधिमान्यता रद्द करने का विकल्प खुला है,किंतु राजनैतिक दबाव में स्थानीय प्रशासन ने जो भी किया है, वह विपक्ष और लोकतंत्र के मज़बूत चौथेस्तम्भ को भयाक्रांत करने का ही एक उपक्रम कहा जायेगा,इसकी घोर भर्त्सना की जानी चाहिए।* *श्री तिवारी के साथ किये गए इस निंदनीय सलूक को लेकर एक दुर्भाग्यपूर्ण प्रसंग और जूड़ गया है कि श्री तिवारी,जिनके साथ प्रदेश भाजपा के मीडिया संवाद प्रमुख,पत्रकार विधा से जूड़े श्री लोकेंद्र पाराशर ने भी वर्षों तक कार्य किया है,वे भी राजनैतिक मज़बूरियों के चलते आज खामोश हैं?* *प्रशासन से मेरा आग्रह है कि वह ऐसा कोई भी काम न करे जो उसे प्रदत्त संवैधानिक अधिकारों के दुरुपयोग की श्रेणी में आता हो।*