निशा बनी आशा की किरण,   उदयगढ़ के साईं आजीविका समूह  सदस्य के जज्बे को सलाम 

निशा बनी आशा की किरण, 
 उदयगढ़ के साईं आजीविका समूह  सदस्य के जज्बे को सलाम
(सुनील जोशी)
 जोबट -कोविड-19 के चलते देश में जारी लाँक डाऊन के चलते सभी प्रकार के रोजगार बंद पड़े हैं, वही अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाएं विभिन्न प्रकार की आयमूलक गतिविधियां जैसे  सब्जी उत्पादन एवं क्रय विक्रय करना आदि के साथ-साथ छोटे-मोटे काम कर अपने परिवार को मदद पहुंचा रही है l  ग्राम उदयगढ़  के साईं आजीविका  महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्य श्रीमती निशा  सोलंकी   की कहानी अपने आप मे अनूठी और प्रेरणादायक है  । ग्राम बोरी निवासी  निशा की शादी उदयगढ़ में वर्ष 1999 में हुई थी, शादी के बाद परिवार की माली हालत खराब होने से उसके संघर्ष का दौर प्रारंभ हुआ और उसने बस स्टैंड के नजदीक  नाले के पास की जमीन पर छोटी सी होटल लगाने का काम प्रारंभ करने का निर्णय लिया । इसी बीच  वह 2014  मैं आजीविका मिशन के तहत  स्वयं सहायता समूह गठन की प्रक्रिया से जुड़ गई l समूह के नियम प्रक्रिया का  पालन करते हुए कई बार छोटे-मोटे लोन लेकर लगातार  चुकता करती रही है और आज उसने अपनी दुकान को दो.मँजिला आकार दे दिया है l इससे वह करीब ₹1000 प्रतिदिन कमा रही थी और बीमार पति के साथ सहयोग कर रही थी । दो मजदूर प्रतिदिन उसकी दुकान पर काम करते थे l  गत वर्ष बैंक ऑफ बड़ौदा के सहयोग से समूह को  दो लाख  रुपयों की नगद साख सीमा मिशन सहयोग दल सदस्य  के माध्यम से करवाई गई थी  जिसमें से उसके द्वारा ₹ 50,000 का लोन लेकर अपनी दुकान को दो मजिला बना दिया गया । उसकी प्लानिंग थी कि वह टिफिन सेंटर चलाएगी , परंतु  कोरोना संक्रमण  के कारण लाँकडॉऊन की स्थिति बन गई तथा उदयगढ़ में एक पॉजिटिव मरीज पाए जाने से विकासखंड को कंटेंटमेंट एरिया घोषित कर दिया गया ।  ऐसी परिस्थिति में करीब 10 दिन बाद परिवार की माली स्थिति को संभालने के लिए उसने समूह में जमा की जाने वाली की राशि  ₹15000 से फल एवं सब्जी खरीद कर हाथ ठेला गाड़ी पर दुकान लगाने का निर्णय लिया । उसके काम में उसके सहयोग के लिए उसका भाई तैयार हुआ पहली बार वह राणापुर एवं झाबुआ जाकर फल और सब्जी लाई जिससे उसको 300-- 400 ₹0 प्रतिदिन की आय होने लगी  । दो दिन बाद ही उसकी छोटी बहन श्रीमती पप्प वसुनिया  जो कि कल्याणी है उसके 5 बच्चे हैं द्वारा निशा से सहयोग मांगा ताकि उनके बच्चों को भरण पोषण हो सके ।  अगले दिन उसने उसकी  बहन को फल और सब्जी की दुकान लगाने में मदद की और सामान भी उपलब्ध करवाया । हर दूसरे दिन सुबह 5:00 बजे अपने भाई को लेकर  रिक्शा को ₹1000/- प्रतिदिन के  किराए पर लेकर  मंडी में जाती है और वहां से सामग्री खरीदकर उदयगढ़ और आसपास के क्षेत्रो में ग्रामीणों को बेचकर  कमाई कर रही है । ऐसे समय में जब कोई किसी का नहीं होता है,उसने अपनी छोटी बहन  को  बिना किसी लाभ के निस्वार्थ भाव से सहारा दिया । आज मैं बहुत खुश है क्योंकि  उसकी मदद से  जहां उसका परिवार  गुजर बसर कर रहा है, वही उसके बहन का परिवार  दूसरों के सामने हाथ फैलाने से  बच गया है । जनपद सीईओ पवन शाह एवं विकासखंड प्रबंधक विजय सोनी ने खुद निशा से चर्चा कर जानकारी प्राप्त की जिसमें उसने बताया कि उसके  परिवार में कुल 6 सदस्य है, उनके पालन-पोषण में अब दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ रहा है । इसके अतिरिक्त समूह के अन्य सदस्य  कपड़ा दुकान, सिलाई का कार्य और अन्य छोटे-मोटे कार्य कर परिवार की मदद कर रहे हैं । निशा  पप्पू के जीवन में  आशा की किरण बनकर उभरी है और उसके प्रयासों को दूसरों के द्वारा भी सराहा जा रहा है । मिशन सहयोग दल सदस्य दिनेश वसुनिया, नीना राठौर एवँ भूरिया परमार भी समूह की महिलाओं को सहयोग कर रहे हैं ।


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