पता नहीं! अब किसकी नज़र लग गई? और देखिए ना! झगड़ा भी हुआ तो उस जगह के लिए जहां दोनों तरफ का साझा बाजार लगता था. इन दिनों सब खत्म हो गया है. आना-जाना तो बंद है ही, अब बातचीत भी बंद हो गई है. लोग एक दूसरे को दुश्मन समझने लगे हैं. आंख से आंख तक नहीं मिलाते."
"हमारी पीढ़ियां गुजर गई. हम बच्चे से बुजुर्ग हो गए. लेकिन आज तलक कभी अहसास नहीं हुआ कि यह दो देशों की सीमा है. दोनों तरफ के लोगों का दूसरे के यहां रोज़ का आना-जाना, लेन-देन, खाना-पीना रहा है. रिश्ते-नाते हैं. लेकिन पता नहीं! अब किसकी नज़र लग गई? और देखिए ना! झगड़ा भी हुआ तो उस जगह के लिए जहां दोनों तरफ का साझा बाजार लगता था. इन दिनों सब खत्म हो गया है. आना-जाना तो बंद है ही, अब बातचीत भी बंद हो गई है. लोग एक दूसरे को दुश्मन समझने लगे हैं. आंख से आंख तक नहीं मिलाते." बिहार के मोतिहारी शहर से करीब 47 किमी दूर भारत और नेपाल की सीमा पर बसे ढाका प्रखंड के गुआबाड़ी गांव के बुजुर्ग लक्ष्मी ठाकुर जमीन के उस झगड़े के बारे में बता रहे थे, जिसकी वजह से दोनों देशों के बीच तनाव का माहौल पैदा हो गया है.
यह ताज़ा विवाद तब पैदा हुआ है जब इसके पहले 13 जून को नेपाल की संसद ने देश के एक नए नक्शे को स्वीकृति दे दी और उस नक्शे में तीन इलाके लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी को अपना हिस्सा बताया. इसके अलावा नेपाल की संसद ने एक नया नागरिकता कानून भी पास किया है जिससे दोनों देशों के बीच रोटी - बेटी के रिश्तों में भी कड़वाहट आई है. नए कानून के मुताबिक किसी भारतीय लड़की की नेपाल में शादी हो जाने के बाद भी उसे नेपाली नागरिकता सात साल बाद ही मिलेगी.
नो मेन्स लैंड पर निर्माण पूर्वी चंपारण में भारत और नेपाल की सीमा पर लाल बकेया नदी के किनारे तटबंध बनाने का काम 15 जून से ही रुका हुआ है. टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक उस दिन नेपाल के सीमावर्ती जिले रौतहट के सीडीओ बसुदेव घिमरे अन्य अधिकारियों और सुरक्षा बलों को लेकर आए थे और वहां काम करा रहे जल संसाधन विभाग, बिहार के इंजीनियर रणबीर प्रसाद को काम रोक देने के लिए कहा. नेपाली प्रशासन का दावा है कि सीमा पर पिलर 346/6 से पिलर 346/7 के बीच तटबंध का निर्माण "नो मेन्स लैंड" पर हुआ है.
भारत ने सहमति तोड़ी - नेपाल वैसे तो इस वक़्त नेपाल में प्रवेश की मनाही है मगर हमें सीमा पर भारत के लोगों से बात करते हुए देखकर नेपाल के बंजराहा गांव की तरफ़ बाजार में बैठे लोगों ने इशारे से बोर्डर के उस पार बुला लिया. वे लोग भारत के लोगों के साथ अपने संबंधों पर बातचीत करने लगे. उनका आरोप था कि भारत की मीडिया नेपाल का पक्ष सही से नहीं रख रही है.
पहली बार दावा तटबंध की मरम्मत का काम बाढ़ पूर्व की तैयारियों के तहत किया जा रहा था. बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग के मंत्री संजय कुमार झा ने सोमवार को बयान दिया कि नेपाल की तरफ से इस तरह की आपत्ति न सिर्फ एक बल्कि तीन तटबंधों की मरम्मत और निर्माण के काम में दर्ज कराई गई है. लेकिन बांध बना क्यों नहीं? जवाब में डीएम शीर्षत कपिल कहते हैं, "चैनल बनाने की जिम्मेदारी जल संसाधन विभाग, उसके इंजीनियर और ठेकेदारों की थी. लॉकडाउन की वज़ह से काम बंद हो जाने के कारण चैनल का काम पूरा नहीं हो पाया." नेपाल की तरफ़ के लोगों ने बातचीत के दौरान चाय भी पिलाया और बहुत सारी बातें भी की. पर जैसे ही हमने उन्हें रिकॉर्ड करने के लिए कैमरा और माइक निकाला, नेपाली प्रहरी के सैनिकों ने आकर रोक दिया. उन्होंने अपने लोगों को चुप रहने को कहा और हमसे कहा, "आप चाय पीकर लौट जाइए."