बिहारी जी का चमत्कार - श्रीमती संगीता साहू

. वृंदावन मे बिहार से एक परिवार आकर रहने लगा.. . परिवार मे केवल दो सदस्य थे-राजू और उसकी पत्नी। . राजू वृंदावन मे रिक्शा चलाकर अपना जीवन यापन करता था और रोज बिहारी जी की शयन आरती मे जाता था... . पर जिंदगी की भागम भाग मे धीरे-धीरे उसे बिहारी जी के दर्शन का सौभाग्य ना मिलता। . हरि कृपा से उसके घर एक बेटी हुई लेकिन वो जन्म से ही नेत्रहीन थी.. उसने बड़ी कौशिश की.. पर हर तरफ से निराशा ही हाथ लगी। . बेचारा गरीब करता भी क्या ? इसे ही किस्मत समझ कर खुश रहने की कोशिश करने लगा। . उसकी दिनचर्या बस इतनी थी। वृंदावन मे भक्तों को इधर से उधर लेकर जाना। . लोगों से बिहारी जी के चमत्कार सुनता और सोचता मैं भी बिहारी जी से जाकर अपनी तकलीफ कह आता हूँ.. . फिर ये सोचकर चुप हो जाता बिहारी जी के पास जाऊं और वो भी कुछ माँगने के लिए ही,नही ये ठीक नही है.. . पर एक दिन पक्का मन करके बिहारी जी के मंदिर तक पहुँचा और देखा गोस्वामी जी बाहर आ रहे हैं। . उसने पुजारी से कहा, क्या मैं बिहारी जी के दर्शन कर सकता हूँ ? . पुजारी जी बोले, मंदिर तो बंद हो गया है।तुम कल आना। . पुजारी जी बोले, क्या तुम मुझे घर तक छोड़ दोगे ? . राजू ने रोती आंखों को छुपाते हुए, हाँ में सिर को हिला दिया। . पुजारी जी रिक्शा पर बैठ गए और राजू से पूछा, बिहारी जी को क्या कहना था ? . राजू ने कहा, बिहारी जी से अपनी बेटी के लिए आंखों की रोशनी माँगनी थी.. वो बचपन से देख नही सकती। . बातों बातों मे पुजारी जी का घर कब आ गया... पता ही ना चला पर.. . घर आकर राजू ने जो देखा सुना वो हैरान कर देने वाला था..,!! . घर आकर राजू ने देखा उसकी बेटी दौड़ भाग कर रही है.. . उसने अपनी बेटी को उठाकर पूछा ये कैसे हुआ..? . बेटी बोली पिताजी..! आज एक लड़का मेरे पास आया और बोला तुम राजू की बेटी हो... . मैंने जैसे ही हां कहा उसने अपने दौनो हाथ मेरी आंखों पर रख दिए.. फिर मुझे सब दिखने लगा.. पर वो लड़का मुझे कहीं नही दिखा। . राजू भागते-भागते पुजारी जी के घर पहुँचा.. . पर पुजारी जी बोले.. मैं तो दो दिन से बीमार हूँ... मैं तो दो दिन से बिहारी जी के दर्शन को मंदिर ही नही गया जय जय श्री राधे


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