कोरोना काल में अतिथि शिक्षकों के मई जून के मानदेय न मिलने से और बेरोजगारी की हालत में परेशान अतिथि शिक्षक ने मुख्यमंत्री शिवराज सिं चौहान को ट्वीट कर अपनी व्यथा सुनाई

"अतिथ शिक्षक राजेश किशोर भार्गव की जुबानी - अब हताश और निराश हो गया हूँ मामाजी शायद आप मेरा ट्वीट देखेंगे उससे पहले मेरी विदाई हो गई होगी"



कोरोना काल में जिस तरह देश के मजदुर, किसान, छोटे व्यापारीगण, वकील, पत्रकार आर्थिक तंगी के हालात से गुजर रहे थे ठीक उसी तरह मध्यप्रदेश के अतिथि शिक्षक भी आर्थिक तंगी से गुजर रहे थे हालात इतने बिगड़ गये थे कि कई शिक्षक तो अपने परिवार को दो वक्त के भोजन का इंतजाम भी नहीं कर पा रहे थे, सरकार और सामाजिक संस्थाओं ने देश के मजदुर वर्गो एवं असहाय लोगों को खाने और राशन की मदद तो पहुंचाई लेकिन इन अतिथि शिक्षकों के तरफ किसी का भी ध्यान नहीं गया अतिथि शिक्षक परेशान तो थे लेकिन ये अपनी मजबुरी किसी से बयां भी नहीं कर पाये क्योंकि ये शिक्षक थे जो कि विद्वान वर्ग से आते हैं


भोपाल - कोरोना काल में जिस तरह देश के मजदुर, किसान, छोटे व्यापारीगण, वकील, पत्रकार आर्थिक तंगी के हालात से गुजर रहे थे ठीक उसी तरह मध्यप्रदेश के अतिथि शिक्षक भी आर्थिक तंगी से गुजर रहे थे हालात इतने बिगड़ गये थे कि कई शिक्षक तो अपने परिवार को दो वक्त के भोजन का इंतजाम भी नहीं कर पा रहे थे, सरकार और सामाजिक संस्थाओं ने देश के मजदुर वर्गो एवं असहाय लोगों को खाने और राशन की मदद तो पहंचाई लेकिन इन अतिथि शिक्षकों के तरफ किसी का भी ध्यान नहीं गया अतिथि शिक्षक परेशान तो थे लेकिन ये अपनी मजबुरी किसी से बयां भी नहीं कर पाये क्योंकि ये शिक्षक थे जो कि विद्वान वर्ग से आते हैं अतिथि शिक्षकों के मई जून के मानदेय न मिलने से और बेरोजगारी की हालत में परेशान अतिथि शिक्षक ने मुख्यमंत्री शिवराज सिं चौहान को ट्वीट कर अपनी व्यथा सुनाई अतिथ शिक्षक राजेश किशोर भार्गव की जुबानी - अब हताश और निराश हो गया हूँ मामाजी शायद आप मेरा ट्वीट देखेंगे उससे पहले मेरी विदाई हो गई होगी कोरोना काल में अतिथि शिक्षकों के मई जून के मानदेय न मिलने से और बेरोजगारी की हालत में परेशान अतिथि शिक्षक ने मुख्यमंत्री शिवराज सिं चौहान को ट्वीट कर अपनी व्यथा सुनाई अतिथ शिक्षक राजेश किशोर भार्गव की जुबानी - अब हताश और निराश हो गया हूँ मामाजी शायद आप मेरा ट्वीट देखेंगे उससे पहले मेरी विदाई हो गई होगी कोरोना काल में जिस तरह देश के मजदुर, किसान, छोटे व्यापारीगण, वकील, पत्रकार आर्थिक तंगी के हालात से गुजर रहे थे ठीक उसी तरह मध्यप्रदेश के अतिथि शिक्षक भी आर्थिक तंगी से गुजर रहे थे हालात इतने बिगड़ गये थे कि कई शिक्षक तो अपने परिवार को दो वक्त के भोजन का इंतजाम भी नहीं कर पा रहे थे, सरकार और सामाजिक संस्थाओं ने देश के मजदुर वर्गो एवं असहाय लोगों को खाने और राशन की मदद तो पहुंचाई लेकिन इन अतिथि शिक्षकों के तरफ किसी का भी ध्यान नहीं गया अतिथि शिक्षक परेशान तो थे लेकिन ये अपनी मजबुरी किसी से बयां भी नहीं कर पाये क्योंकि ये शिक्षक थे जो कि विद्वान वर्ग से आते हैं


Popular posts
कान्हावाड़ी में बनेगी अनूठी नक्षत्र वाटिका, पूर्वजों की याद में लगायेंगे पौधे* *सांसद डीडी उइके एवं सामाजिक कार्यकर्ता मोहन नागर ने कान्हावाड़ी पहुँचकर किया स्थल निरीक्षण
Image
मध्यप्रदेश के मेघनगर (झाबुआ) में मिट्टी से प्रेशर कुकर बन रहे है
Image
अगर आप दुख पर ध्यान देंगे तो हमेशा दुखी रहेंगे और सुख पर ध्यान देंगे तो हमेशा सुखी रहेंगे
Image
एक ऐसी महान सख्सियत की जयंती हैं जिन्हें हम शिक्षा के अग्रदूत नाम से जानते हैं ।वो न केवल शिक्षा शास्त्री, महान समाज सुधारक, स्त्री शिक्षा के प्रणेता होने के साथ साथ एक मानवतावादी बहुजन विचारक थे। - भगवान जावरे
Image
रायसेन में डॉ राधाकृष्णन हायर सेकंडरी स्कूल के पास मछली और चिकन के दुकान से होती है गंदगी नगर पालिका प्रशासन को सूचना देने के बाद भी नहीं हुई कोई कार्यवाही