मनुष्य के शब्द नहीं बोलते अपितु उसका संस्कार बोलता है

शब्द किसी मनुष्य के संस्कारों के मुल्यांकन का सबसे प्रभावी और सटीक आधार होता है। स्वभाव में विनम्रता, शब्दों में मिठास और कर्म में कर्तव्य निष्ठा ये श्रेष्ठ संस्कारों के परिचायक हैं।



(राकेश शौण्डिक - रांची /झारखण्ड )


इसका सीधा सा अर्थ यह हुआ है कि आपकी परवरिश श्रेष्ठ संस्कारों में हुई है। मनुष्य जीवन एक दुकान है तो जुबान उस दुकान का ताला है। जुबान रूपी ताला खुलने पर ही मालूम पड़ता है कि इसके अंदर क्या भरा पड़ा है,हीरे रुपी सद्गुण या कोयले रूपी कुसंस्कार माना कि शब्दों के दाँत नहीं होते मगर शब्द जब काटते हैं तो दर्द बहुत देते हैं। कभी-कभी घाव इतने गहरे होते हैं कि जीवन निकल जाता है पर शब्दों के घाव नहीं भर पाते हैं। इसलिए जीवन में जब भी बोला जाए मर्यादा में रहकर ही बोला जाए ताकि किसी दूसरे के द्वारा आपके संस्कारों के ऊपर कोई प्रश्न चिह्न खड़ा न किया जा सके। एक बात और कुशब्द प्रयोग से निशब्द हो जाना कई गुना बेहतर है।


Popular posts
रायसेन में डॉ राधाकृष्णन हायर सेकंडरी स्कूल के पास मछली और चिकन के दुकान से होती है गंदगी नगर पालिका प्रशासन को सूचना देने के बाद भी नहीं हुई कोई कार्यवाही
बैतूल पाढर चौकी के ग्राम उमरवानी में जुआ रेड पर जबरदस्त कार्यवाही की गई
Image
ग्रामीण आजीविका मिशन मे भ्रष्टाचार की फिर खुली पोल, प्रशिक्षण के नाम पर हुआ घोटाला, एनसीएल सीएसआर मद से मिले 12 लाख डकारे
Image
भगवान पार ब्रह्म परमेश्वर,"राम" को छोड़ कर या राम नाम को छोड़ कर किसी अन्य की शरण जाता हैं, वो मानो कि, जड़ को नहीं बल्कि उसकी शाखाओं को,पतो को सींचता हैं, । 
Image
भोपाल शहर के काजी साहब सैयद मुश्ताक अली नदवी ने सभी मुसलमान भाईयों से अपील की है.कि कोरोना वायरस के चलते (जुमा, की नमाज और बाकी सभी नमाजे, अपने अपने घरों में रहकर ही अदा करें) - आशीष पेंढारकर
Image