राजस्व न्यायालय तक सीमित खनिज अपराध की कार्यवाही


खनिज अपराधियों को मिल रहा दण्ड एवं जुर्माना से संरक्षण


बैतूल। कानून कहता हैं कि खनिज सरकार की संपत्ति हैं। खनिज का अवैध उत्खन्न, परिवहन एवं भण्डारण दण्डनीय अपराध हैं। खनिज अपराध के आरोपी को न्यायालय अपराध प्रमाणित होने की दषा में 5 वर्ष तक का कारावास एवं 5 लाख तक का जुर्माना तथा उत्खन्न में प्रयुक्त औजार, मषीन एवं वाहन राजसात किए जा सकतें हैं। भारत सरकार के खान एवं खनिज अधिनियम 1957 में दांडिक मामला न्यायालय में संचालित होगा तथा राज्य सरकार के खनिज नियमों के तहत राजस्व न्यायालय में खनिज के राजस्व की वसूली होगी


मप्र राज्य में खनिज विभाग द्वारा खनिज अपराधियों को कारावास के दण्ड एवं जुर्माना से बचाने के लिए अब तक प्रयास किए जाते रहे हैं। खनिज विभाग, खनिज अपराध के मामलों को राजस्व न्यायालय में पेष करके निराकरण करवा लेता था लेकिन दांडिक कार्यवाही के लिए खनिज अपराध का मामला दांडिक न्यायालय में पेष नहीं करता था। किसी भी खनिज अपराधी को अब तक न्यायालय से कारवास की सजा नहीं हुई हैं तो इसका कारण खनिज विभाग हैं। खनिज विभाग का यह भ्रष्टाचार अब सार्वजनिक हो चुका हैंमप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंण्डपीठन ने विविद दांडिक प्रकरण क्र0 49338/19 में खनिज विभाग का यह भ्रष्टाचार सबसे पहले उजागर हुआ हैंन्यायालय ने खान एवं खनिज अधिनियम 1957 में दांडिक परिवाद पेष किए बिना ही राजस्व न्यायालय से मप्र गौण खनिज नियम 1996 के तहत खनिज अपराध के मुकदमें के निराकरण को सही नहीं ठहराया गया हैं। हाई कोर्ट के निर्देष पर मप्र राज्य के समस्त जिलों के मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी को खनिज अपराध के राजस्व न्यायालय द्वारा निराकृत प्रकरणों की जांच कर मामले में कार्यवाही हेतु आवष्यक आदेष देना हैं


जिला अभिभाषक संघ, बैतूल द्वारा जिला एवं सत्र न्यायाधीष बैतूल को खनिज अपराध के मामलों में खनिज विभाग बैतूल द्वारा अपनाई गई कानून में एक अज्ञात प्रक्रिया को जानकारी में लाया गया। इंदौर खंडपीठ के आदेषानुसार मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी बैतूल अनीता खजूरिया खनिज विभाग के मामलों की जांच कर रहे हैं। सूचना के अधिकार कानून के तहत न्यायालय से कार्यवाही की जानकारी भी मांगी गई हैं। खनिज X G विभाग अब तक तो खान एवं खनिज अधिनियम 1957 के तहत न्यायालय में दर्ज करवाए गए मामलों की जानकारी मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी बैतूल को नहीं दे पा रहा हैं।


राजस्व न्यायालय कलेक्टर बैतूल की अदालत में चल रहे खनिज अपराध के मामलों में विद्वान अधिवक्ता भारत सेन कारण बताओं सूचना पत्र के जवाब में हाई कोर्ट की इन्दौर खंण्ड पीठ के आदेष का हवाला देकर आपत्तियां दर्ज करवा रहे हैं। खान एवं खनिज अधिनियम 1957 में दांडिक अपराध न्यायालय में दर्ज नहीं करवाया गया हैं तब उस दषा में राजस्व न्यायालय में खनिज अपराध का मामला चलने योग्य नहीं हैं। हाई कोर्ट की इन्दौर खंण्डपीठ के ओदष का हवाला देकर जिला अभिभाषक संघ, बैतूल ने कलेक्टर बैतूल राकेष सिंग की जानकारी में खनिज विभाग बैतूल की खनिज अपराध के मामलों को निराकृत करवाने की अवैधानिक प्रक्रिया को रखा गया हैं। अभिभाषक संघ का कहना हैं कि खान एवं खनिज अधिनियम 1957 में न्यायालय में दांडिक अपराध दर्ज करवाने के साथ ही राजस्व न्यायालय में मप्र रेत नियम 2019 के नियम 20 में खनिज अपराध के आरोपी के विरूद्ध मामले चलाए जा सकते हैं। अधिनियम में अपराध हैं तभी नियम में कार्यवही संभव हैं। एक के बिना दूसरा चल नहीं सकता हैं।


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