गोंडवाना समुदाय की लिपि का कही न कही विलुप्त करने की काशिश गूगल द्वारा की गयी है - एड. कलिथा रानी शाह
भोपाल के दीपेश कुमार ठाकुर एवनहिमवनत शाह ठाकुर(अधिवक्ता एवनविधि सलाहकार) ने माननीय सुश्री मीना सिह जी ( मवी आदिवासी कल्याण मध्यप्रदेश) का पत्र जाहिर कर सवाल उत्पन्न कर दिए है भोपाल न्यायालय के क्राईम अधिवक्ता श्रीमति कलिथा रानी शाह ने बताया कि हाल ही में गोंडी का अतरराष्ट्रीय पहचान देने का काम गूगल और न्यूज़ीलैंड की कम्पनी ने किया जिसमें सुक्रवार का गोंडी यूनिक/ई फ़ॉन्ट के ऑनलाइन इनुग्रशन के दौरान तेलमाना के सीदाम्म अर्जु न्यूज़ीलैंड के मार्क पैनी गूगल से क्रेक कार्मेलिस और देवास मेहता मौजूद रहेजिसमे बताया गया कि यूनिक, फॉण्ट आ जाने से गोंडी भाषा का खासा विस्तार होगा अथवा अबतक गोंडी भाषा सिर्फ बाली जाती थी लेकिन अब इसे लिखा भी जा सकेगा श्रीमति कलिथा रानी शाह ने बताया कि इस विषय पर भापाल के दीपेश कुमार ठाकुर एवनहिमवनत शाह ठाकुर(अधिवक्ता एवनविधि सलाहकार) ने माननीय सुश्री मीना सिह जी ( मत्री आदिवासी कल्याण मध्यप्रदेश) का पत्र जाहिर कर सवाल उत्पन्न कर दिए है। उनके मुताबिक गूगल ने गोंडी यूनिकाह फॉण्ट के नाम पर देवनागरी फॉण्ट का इस्तेमाल किया है जिसमे शुरूवात से लेकर अन तक सदियों पुराने गोंडी लिपि का नम, निशान नहीन्है अथवा यूनिकाह फॉण्ट के नाम पर हिदी देवनागरी का फॉण्ट इस्तेमाल गूगल द्वारा किया गया है। उनके मुताबिक देवनागरी और गोंडी लिपि में जमीन आसमान का फर्क नज़र आता है। गूगल के इस गलत गोंडी यूनिक, फॉण्ट से आदिकाल समय से स्थित गोंडवाना समुदाय की लिपि का कही न कही विलुप्त करने की काशिश गूगल द्वारा की गयी है जिससे गूगल ने गोंडी यूनिक/ई फॉण्ट के नाम पर हिदी देवनागरी फॉण्ट का दरसाया है।
इसपर नज़र रखते हुए दीपेश द्वारा सुश्री मीना सिह जी से आग्रह किया है कि इस विषय पर जल्द से जल्द क़दम उठाया जाए और आदिवासी समुदाय के गोंडी लिपि का अतर्राष्ट्रीय स्तर में सही पहचान देने के लिए गूगल यूनिक/g फॉण्ट के जरिए सही सही प्रकाशित की जाए और गूगल द्वारा गोंडी लिपि के नाम पर देवनागरी फॉण्ट का इस्तेमाल न की जाए जिससे बड़े स्तर पर समुदाय के प्राचीन गोंडी लिपि पर गलत प्रभाव पड़ता नज़र आ रहा है।